National Institute of Health and Family Welfare The National Institute of Health and Family Welfare (NIHFW)

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निदेशक की क़लम से

 

एनआईएचएफडब्ल्यू स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित एक शीर्षस्थ तकनीकी संस्थान है। 9 मार्च 1977 में इसके प्रारंभ से संस्थान द्वारा अपने बहु–आनुशासनिक प्रयासों के माध्यम से जन स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन से संबद्ध व्यापक मुद्दों पर ध्यान दिया जाता रहा है। यह संस्थान मेरे लिए नया नहीं है; मैं 1983 के बाद से इस सम्मानित संगठन का एक अभि(्न अंग रहा हूँ। मुझे अपने सभी शुभचिंतकों और विश्वस(ीय सलाहकारों के लिए बहुत कुछ करना है। इसके अतिरिक्त मेरे विचार से मेरी इस लम्बी यात्रा के दौरान, इस संस्थान के कार्यकलापों में कई गुना वृद्धि हुई है। इस प्रगति को जारी रखने के लिए मैं निदेशक पद की गरिमा को बनाए रखने तथा निदेशक कार्यालय की अखंडता को और अधिक ऊँचाईयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।
 

इस प्रतिष्ठित संस्थान को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। यह संस्थान, अपने स्नातकोत्तर शैक्षिक कार्यक्रमों जैसे- सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशासन विषय में तीन वर्षीय एम.डी. पाठ्यक्रम तथा स्वास्थ्य प्रशासन में दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए जाना जाता है। यह दोनों पाठ्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं तथा भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त हैं। संस्थान द्वारा भारतीय जन स्वास्थ्य फाउंडेशन की सहभागिता में तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समर्थन से जन स्वास्थ्य प्रबंधन में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम तथा दूरस्थ शिक्षण माध्यम से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रबंधन, अस्पताल प्रबंधन तथा स्वास्थ्य संवर्धन विषय में एक वर्षीय स्नातकोत्तर प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। अधिक से अधिक स्कॉलर्स अपनी डॉक्टरेट (पीएचडी) और ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप प्रोग्राम के लिए इस संस्थान पर भरोसा कर रहे हैं। इस संस्थान के विभिन्न वर्गों के स्वास्थ्य कार्मिकों के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण, शोध अध्ययन/परियोजनाएं, विशेषतः बहु-आनुशासनिक शोध टीमों के माध्यम से संक्रिया अनुसंधान संचालित करने तथा स्वास्थ्य योजनाकारों, स्वास्थ्य परिचर्या प्रदाताओं तथा प्रबंधकीय विशेषज्ञों के साथ सहयोग/समन्वयन बनाए रखने के लिए संस्थागत यंत्र-विन्यास स्थापित करने में अधिक रूचि एवं ध्यान दिया जाता है। समय के साथ-साथ, इस संस्थान को अपने सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए प्रचुर ख्याति प्राप्त हुई है, उदाहरणार्थ- यूरोपियन आयोग द्वारा ‘जिला चिकित्सा अधिकारियों हेतु प्रबंध, जन स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेक्टर सुधार में व्यावसायिक विकास पाठ्यक्रम’ को समर्थन प्रदान किया गया है। यह पाठ्यक्रम पूरे देश भर में तेरह अभिज्ञात प्रशिक्षण संस्थानों की सहायता से 12-16 वर्षों से संबंद्ध क्षेत्रों में सेवारत चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए सुविख्यात है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद द्वारा इस पाठ्यक्रम को मुख्य चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन के पद पर पदोन्नति के लिए एक पूर्वापेक्षा के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। यह संस्थान डब्ल्यूएचओ, जीटीजेड, यूनिसेफ, यूएसएड, जनसंख्या और विकास (पीपीडी) में पार्टनर्स, आईएनसीएलईएन, फ्यूचर्स ग्रुप इंटरनेशनल, यूरोपीय संघ, आईएचबीपी जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग की गति को बनाए रखने में सफल रहा है। हाल ही में, इस संस्थान ने 'वॉश के प्रमुख संसाधन केंद्र',पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के साथ कार्य किया।
 

मैं यह कहते हुए अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि इस संस्थान के इतिहास में पहली बार, रास्वापक संस्थान ने क-श्रेणी के राज्यों में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए वर्ष 2012-13 के लिए इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार (तीसरा स्थान) प्राप्त किया है। सितम्बर 2014 में, मुझे राष्ट्रपति भवन में भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के करकमलों द्वारा पुरस्कार प्राप्त करने का सम्मान प्राप्त हुआ।
 

संस्थान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में नई पहलें प्रगति पर हैं। संस्थान द्वारा की गई कुछ नई महत्वपूर्ण पहलों में मातृ और बाल ट्रैकिंग सुविधा केंद्र, राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल, प्रशिक्षण प्रबंधन सूचना प्रणाली (टीएमआईएस), राष्ट्रीय कोल्ड चैन और वैक्सीन प्रबंधन संसाधन केन्द्र शामिल हैं, इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन/ प्रजनन शिशु स्वास्थ्य-2 तथा एच.आई.वी. संक्रमण हेतु वार्षिक सुरक्षा संनिरीक्षण में इसका योगदान शामिल है। इस संस्थान ने वर्ष 1978 से स्वास्थ्य एवं जनसंख्या : परिप्रेक्ष्य एवं मुद्दे (हैल्थ एण्ड पापुलेशनः परस्पेक्टिव्स एण्ड इश्यूज) विषय पर एक अंतर-अनुशासनात्मक तिमाही पत्रिका (जर्नल) के प्रकाशन के साथ ही वर्ष 1999 से त्रैमासिक न्यूज़लेटर तथा हिंदी पत्रिका धारणा का प्रकाशन किया। अब तक संस्थान में एक सौ पचास से भी अधिक तकनीकी रिपोर्ट तथा विभिन्न श्रेणियों के स्वास्थ्य कर्मियों और स्कॉलर्स के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रकाशित किए जा चुके हैं। अन्य विशिष्ट सेवाओं के अतिरिक्त क्लिनिकल- बांझपन, माँ और शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) सेवाओं, किशोर क्लिनिक, रजोनिवृत्ति क्लिनिक के क्षेत्र में; तथा कम्प्यूटर, प्रलेखन, मुद्रण और रेप्रोग्राफी, कला और प्रोजेक्शन भी उल्लेखनीय हैं। मैं जब अपने संस्थान के कर्मचारियों में समर्पण, कार्य-निश्चय, निष्ठां तथा अनुशासन की भावना पल्लवित होते देखता हूँ, तो मैं स्वयं को अत्यंत गौरवान्वित महसूस करता हूँ। मुझे निदेशक पद के कार्यकाल में प्राप्त सफलताओं का पूर्ण आभास होता है। मेरे सभी कार्मिकों ने अपने कार्य क्षेत्र में अपनी विशिष्टताओं को सिद्ध किया है। अपने कार्यों के प्रति अनवरत लगन तथा अथक प्रतिबद्धता ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचाया तथा संस्थान के लिए कई ख्यातियां अर्जित कीं। निदेशक के रूप में, मैंने केवल उनकी कठिनाइयों को दूर किया और उन्हें उनके प्रयासों में रचनात्मक बनने, कुछ नया करने और गंभीर रूप से सोचने के लिए एक उचित वातावरण प्रदान किया । मैं पूर्णतया आश्वस्त हूँ कि शीघ्र ही हम सब मिलकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान को वैश्विक स्तर पर एक 'उत्कृष्ट संस्थान' के रूप में परिवर्तित कर देंगे। अंत में मैं हेनरी फोर्ड की कुछ पंक्तिया व्यक्त करना चाहूँगा "एक साथ मिलकर चलना शुरुआत है, एकता को बनाये रखना प्रगति है और साथ मिलकर कार्य करने में ही सफलता है।"
 

डॉ. धीरज शाह, आई.ए.एस.
 
निदेशक